संसार में हमारे चारों ओर अनेक जटिल घटनाएँ निरन्तर घटित होती रहती हैं। अतः संसार अबोधगम्य प्रतीत होता है।
आइन्स्टीन ने उस समय सोचा होगा कि इतनी जटिलताओं के होते हुए भी सन्तोषप्रद बात यह है कि इन सभी प्राकृतिक घटनाओं को विज्ञान के कुछ साधारण नियमों से समझा जा सकता है। अतः संसार बोधगम्य है ।