विज्ञान की प्रकृति से संबंधित कुछ अत्यंत पारंगत प्रकथन आज तक के महानतम वैज्ञानिकों में से वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टीन द्वारा प्रदान किये गये हैं। आपके विचार से आइन्स्टीन का उस समय क्या तात्पर्य था, जब उन्होंने कहा था कि "संसार के बारे में सबसे अधिक अबोधगम्य बात यह है कि वह बोधगम्य है।"
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विज्ञान की प्रकृति से संबंधित कुछ अत्यंत पारंगत प्रकथन आज तक के महानतम वैज्ञानिकों में से वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टीन द्वारा प्रदान किये गये हैं। आपके विचार से आइन्स्टीन का उस समय क्या तात्पर्य था, जब उन्होंने कहा था कि "संसार के बारे में सबसे अधिक अबोधगम्य बात यह है कि वह बोधगम्य है।"

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संसार में हमारे चारों ओर अनेक जटिल घटनाएँ निरन्तर घटित होती रहती हैं। अतः संसार अबोधगम्य प्रतीत होता है। आइन्स्टीन ने उस समय सोचा होगा कि इतनी जटिलताओं के होते हुए भी सन्तोषप्रद बात यह है कि इन सभी प्राकृतिक घटनाओं को विज्ञान के कुछ साधारण नियमों से समझा जा सकता है। अतः संसार बोधगम्य है ।

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