भगवत् गीता (Bhagwat Geeta) के लेखक महर्षि वेदव्यास (Mahrshi Vedvyas) थे। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं।
भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है, जो उपनिषद् और धर्मसूत्रों का है। गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है। इसके प्रथम अध्याय का नाम अर्जुनविषादयोग है।
गीता के दूसरे अध्याय का नाम सांख्ययोग, तीसरे अध्याय का नाम कर्मयोग तथा चौथे अध्याय का नाम ज्ञान-कर्म-संन्यास-योग तथा पाँचवा अध्याय का नाम कर्मसंन्यास योग है।