भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन, 1916 में बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) ने कहा था, स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं उसे लेकर रहूंगा।
तिलक राजनैतिक उग्रवाद तथा आक्रामक राष्ट्रवाद में विश्वास करते थे। इस अधिवेशन मे उग्रवादियों की पुनः कांग्रेस में वापसी हुई तथा तिलक एवं एनी बेसेंट के प्रयासों से कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के बीच समझौता हुआ।
यह समझौता लखनऊ समझौता या कांग्रेस-लीग समझौता के नाम से भी प्रसिद्ध है।