विश्व में भारत ऐसा 55वाँ देश बन गया है, जिसकी जनता को सरकार से सूचना पाने का अधिकार दिया गया है। इस कानून का उद्देश्य सरकार में विभिन्न स्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अकुशलता को नियंत्रित करना है। इस अधिनियम के अंतर्गत केन्द्र और प्रदेश के प्रशासनों के अलावा पंचायतों, स्थानीय निकाय और सरकार से धन पाने वाले गैर सरकारी संगठन भी आयेंगे। यह अधिनियिम जम्मू कश्मीर छोड़कर सारे देश में लागू हो गया है। अधिनियम के अंतर्गत केन्द्र को केन्द्रीय सूचना आयोग गठित करना होगा। इस आयोग के एक मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा अधिक से अधिक दस केन्द्रीय सूचना आयुक्त होंगे।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता करने वाली एक समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति मुख्य सूचना आयुक्त और अन्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति करेंगे। इस समिति के अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री होंगे। इसके सदस्यों में लोकसभा में विपक्ष के नेता प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत केन्द्रीय मंत्रिमंडल का एक मंत्री होगा। इस सूचना आयोग के आम कामकाज की देखरेख, दिशा-निर्देश और प्रबंधन जैसे मामलों की शक्तियाँ मुख्य सूचना आयुक्त के पास होंगी, जिसे अन्य सूचना आयुक्त मदद करेंगे। मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में जम्मू कश्मीर के अवकाश प्राप्त वरिष्ठ आई० ए० एस० अधिकारी वजाहत हबीबुल्ला को देश का प्रथम मुख्य सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया है।
देश में सूचना के अधिकार का कानून लागू होने के साथ ही अब देशवासियों को किसी विभाग, केन्द्र अथवा परियोजना से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार मिल गया है। एक पृष्ठ की सूचना के लिए आवेदनकर्ता को मात्र 12 रुपये व्यय करने होंगे जिसमें 10 रु० आवेदन शुल्क भी शामिल है। लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि सारी सूचनायें शुल्क अदा करने पर मिल ही जायेंगी क्योंकि इस कानून में देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा सहित कई विशेष परिस्थितियों में ऐसी सूचना उपलब्ध नहीं कराने की छूट है।
सूचना के अधिकार कानून के अंतर्गत जानकारी प्राप्त करने के लिए केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के समक्ष आवेदन करना होगा। इस कानून के अंतर्गत सरकारी रिकॉर्ड के निरीक्षण की सुविधा भी है, जिसमें पहले एक घंटे के लिए कोई शुल्क देय नहीं होगा लेकिन इसके बाद प्रत्येक 15 मिनट के लिए 5 रु० देने होंगे। केन्द्र राज्य सरकारों के अलावा पंचायती राज संस्थायें, स्थानीय निकाय तथा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सरकारी अनुदान प्राप्त करने वाले सभी गैर सरकारी संगठन इस कानून के दायरे में शामिल किये गये हैं।