लोकसभा के निर्वाचन क्षेत्रों के लिए प्रथम परिसीमन आयोग 1952 ई० में बना था। दूसरी परिसीमन आयोग 1962 ई० में, तीसरी परिसीमन आयोग 1973 ई० में तथा चौथी परिसीमन आयोग 2002 में कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में बनायी गयी है, जिसके द्वारा संस्तुति किया गया कि 1974 के आधार पर ही 2026 ई० तक निर्वाचन क्षेत्रों का आवंटन रहेगा।
84वें संविधान संशोधन एक्ट 2001 के द्वारा संविधान के अनुच्छेद–82 और 170 (3) की शर्तों में संशोधन किया गया है, जिसके अनुसार देश में लोकसभा एवं विधानसभा की सीटों की संख्या में वर्ष 2026 तक कोई वृद्धि अथवा कमी नहीं की जाएगी।
नए परिसीमन से लोकसभा में आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ जाएगी। नया परिसीमन 2001 ई० की जनगणना के आधार पर किया गया है।
अनुसूचित जाति की संख्या 79 के स्थान पर 84 और अनुसूचित जनजाति की संख्या 41 के स्थान पर 47 निर्धारित किया गया। अनारक्षित सीटों की संख्या 412 है।
12 जुलाई, 2002 ई० को न्यायामूर्ति कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में चौथा परिसीमन किया गया। असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड में स्थानीय विरोध एवं अदालतों के स्थगन आदेश के कारण और झारखंड में सरकारी नीति के विपरीत आरक्षित सीटें कम होने के कारण यह परिसीमन पूरा नहीं हो सका।