भारत के निर्वाचन ( चुनाव) आयोग पर एक निबंध लिखें । Bharat Ke Nirvachan Chunav Aayog per Ek Nibandh Likhen.
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भारत के निर्वाचन ( चुनाव) आयोग पर एक निबंध लिखें । Bharat Ke Nirvachan Chunav Aayog per Ek Nibandh Likhen.

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विश्व के अधिकांश संविधानों में चुनाव को अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण विषय समझकर उसे व्यवस्थापिका की इच्छा पर छोड़ दिया जाता है। लेकिन भारतीय संविधान में व्यस्त्र मताधिकार के सिद्धान्त को स्वीकार करते हुए लगभग 10 करोड़ व्यक्तियों को एक साथ मताधिकार प्रदान किया गया था, इसलिए संविधान निर्माताओं ने चुनाव से संबंधित सम्पूर्ण व्यवस्था स्वयं ही कर लेना उचित समझा। प्रजातंत्र की सफलता स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव ही निर्भर करती है और इस संबंध में निर्वाचन तंत्र के महत्व पर प्रकाश डालते हुए संविधान सभ में पं० हृदय नाथ कुंजर ने कहा था कि 'अगर निर्वाचन तंत्र दोषपूर्ण है या कुशल नहीं है या रेप ईमानदार लोगों के द्वारा संचालित होता है तो प्रजातंत्र उत्पत्ति के स्रोत पर ही विषमय हो जायेगा जनता निर्वाचनों से यह सीखने के बदले कि वे अपने मतों का प्रयोग किस प्रकार करें और उनका न्यायपूर्ण मतदान किस प्रकार संविधान में परिवर्तन और प्रशासन में सुधार ला सकता है, वह केवल यह जानने लगती है कि किस प्रकार षड्यन्त्रों पर आधारित दलों का निर्माण किया जा सकता है।'' स्वतंत्र निर्वाचन तंत्र के महत्व को स्वीकार करते हुए भारतीय संविधान के पृथक अध्याय ( अनुच्छेद 324 से 329) में चुनाव संबंधित सम्पूर्ण व्यवस्था की गयी है।

संविधान के अनुच्छेद 324 में चुनावों की व्यवस्था के लिए चुनाव आयोग का उल्लेख किय गया है। चुनाव राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति पद तथा संसद और विधान सभा आदि के लिए होंगे। चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त तथा ऐसे अन्य चुनाव आयुक्त होंगे जिसे राष्ट्रपति समय-समय पर नियुक्त करेंगे। राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त तथा चुनाव आयुक्तों को नियुक्त करते समय संसद द्वारा पारित कानूनों का ध्यान रखेगा। जब इस प्रकार अन्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया हो, तब मुख्य चुनाव आयुक्त सभापति की भाँति कार्य करेगा। राष्ट्रपति चुनाव आयुक्त के परामर्श पर सभापति की भाँति कार्य करेगा। राष्ट्रपति चुनाव आयुक्त के परामर्श पर आवश्यक क्षेत्रीय आयुक्तों की नियुक्ति करेगा। ये क्षेत्रीय आयुक्त चुनाव आयोग की सहायता करेंगे।

चुनाव आयोग के कार्य : चुनावों से संबंधित समस्त व्यवस्था करना चुनाव आयोग का कार्य है। इस संबंध में प्रमुख रूप से उसके निम्नलिखित कार्यों का उल्लेख किया जा सकता है।

1. चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन या सीमांकन

2. मतदाता सूचियाँ तैयार करना

3. विभिन्न राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना

4. राजनीतिक दलों को आरक्षित चुनाव चिह्न प्रदान करना

5. अर्द्ध-न्यायिक कार्य : संविधान के द्वारा आयोग को कुछ अर्द्धन्यायिक कार्य सौंपे गये हैं जिनमें 2 उल्लेखनीय हैं- अनुच्छेद 103 के अन्तर्गत राष्ट्रपति संसद के सदस्यों की अयोग्यताओं के सम्बन्ध में परामर्श कर सकता है तथा 192 वें अनुच्छेद के अन्तर्गत राज्य विधान मण्डल के सदस्यों के संबंध में यह अधिकार राज्यों के राज्यपालों को दिया गया है। लेकिन संविधान अथवा जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम में इस कार्य को करने की कोई प्रक्रिया निश्चित नहीं की गई और इसलिए इस कार्य को करने में आयोग ने कठिनाइयाँ अनुभव की हैं।

6. अन्य कार्य : आयोग को उपर्युक्त कार्यों के अतिरिक्त कुछ अन्य कार्य भी सौंप गए हैं, जो इस प्रकार हैं- (1) राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता (Code of Conduct) तैयार करना, (2) राजनीतिक दलों को आकाशवाणी पर चुनाव प्रचार की सुविधाएँ दिलवाना ( 3 ) उम्मीदवारों द्वारा किए जानेवाले कुल व्यय की राशि निश्चित करना, (4) मतदाताओं को राजनीतिक प्रशिक्षण देना, (5) चुनाव याचिकाओं आदि के संबंध में सरकार को आवश्यक परामर्श देना।

इन सब के अतिरिक्त आयोग से यह अपेक्षा की जाती है कि वह समय-समय पर सरकार को अपने कार्य के संबंध में प्रतिवेदन देता रहेगा और चुनाव प्रक्रिया में सुधार के लिए सुझाव देता रहेगा।

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