यह योजना 1 अप्रैल 1951 को प्रारंभ हुई लेकिन इसका अंतिम प्रारूप दिसंबर 1952 में प्रकाशित हुआ था। उस समय अर्थव्यवस्था बड़े पैमाने पर खाद्यान्न के आयात की समस्या एवं मूल्यों में वृद्धि का सामना कर रही थी।
इसलिए योजना में कृषि सिंचाई और विद्युत परियोजनाओं को प्राथमिकता दी गई। योजना में प्राप्ति लक्ष्यों से अधिक थी।
राष्ट्रीय आय में वार्षिक वृद्धि की दर 1993-94 की कीमतों पर 3.6% थी।
सामुदायिक विकास कार्यक्रम (1952), राष्ट्रीय प्रचार सेवा (1953), भाखड़ा, नांगल, दामोदर घाटी एवं हीराकुंड परियोजना, में प्रथम योजना की देन है।