भारतीय संविधान (Indian Constitution) के अनुच्छेद 214 से 337 तक के उपबन्धों में राज्य न्यायपालिका (Judiciary) के संगठन तथा कार्यकरण का प्रावधान किया गया है।
उसमें प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय का प्रावधान किया गया है, जो राज्य न्यायपालिका के शीर्ष पर स्थित होती है।
एक उच्च न्यायालय के कार्यक्षेत्र में एक या एक से अधिक राज्य आ सकते हैं। वर्तमान समय में भारत में 21 उच्च न्यायालय (High Court) हैं।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश तथा उनकी नियुक्ति (High Court Judges and Their Appointment) : प्रत्येक उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा कुछ अन्य न्यायाधीश होते हैं, जिनकी संख्या समय-समय पर राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित होती है।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा उच्चतम न्यायालय के के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से की जाती है।
अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह लेता है।
योग्यतायें (Qualification) : उच्च न्यायालय का न्यायाधीश वही व्यक्ति हो सकता है, जो
- भारत का नागरिक हो।
- जिसकी आयु 62 वर्ष से अधिक नहीं हो।
- जो भारत के किसी क्षेत्र में कम से कम 10 वर्ष तक न्यायिक पद पर कार्य कर चुका हो। अथवा
- एक या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार 10 वर्षों तक अधिवक्ता रह चुका हो।
कार्यकाल (Tenure) : उच्च न्यायालय का न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर बना रह सकता है।
इससे पूर्व वह स्वेच्छा से पद त्याग कर सकता है या संसद द्वारा उसके विरुद्ध पारित किये गये अयोग्यता या दुराचारिता के प्रस्ताव के आलोक में राष्ट्रपति द्वारा उसे हटाया जा सकता है।
वेतन-भत्ते : उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को 90000 तथा अन्य न्यायाधीश को 80000 रु. मासिक वेतन तथा संसद द्वारा निर्धारित भत्ते और अन्य सुविधायें मिलती हैं।
क्षेत्राधिकार (Jurisdiction) —
- प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार : उच्च न्यायालय को मौलिक अधिकार, वसीयत, विवाह विच्छेद, कम्पनी कानून एवं राजस्व आदि सम्बन्धित मुकदमों में प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
- अपीलीय क्षेत्राधिकार : उच्च न्यायालय में अधीनस्थ न्यायालयों के विरुद्ध दीवानी तथा फौजदारी आदि मामलों में अपील की जा सकती है।
- अभिलेख न्यायालय : उच्च न्यायालय एक अभिलेख न्यायालय भी होता है। उसके निर्णय अधीनस्थ न्यायालयों में मान्य होते हैं। उच्च न्यायालय को अपनी मान हानि के लिए अनुच्छेद 315 के प्रावधान देने का अधिकार प्राप्त है।
- लेख जारी करने का अधिकार : उच्च प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषणा एवं अधिकार पृच्छा जैसे लेख जारी करने के अधिकार प्राप्त हैं।
- निरीक्षण सम्बन्धी क्षेत्राधिकार : बंदी न्यायालय अधीनस्थ न्यायालयों के कार्यों का निरीक्षण करता है। यह उनके लिए नियम बना सकता है, और उनके अभिलेखों की जाँच कर सकता है।
- अन्य अधिकार : उच्च न्यायालय को संविधान की व्याख्या करने, अधीनस्थ न्यायालयों में विचाराधीन मुकदमों को स्थानान्तरण करने या उन्हें अपने पास मँगाने तथा सेशन कोर्ट द्वारा दिये गये मृत्यु-दण्ड की सम्पुष्टि या निरस्त करने आदि का भी अधिकार प्राप्त है।