अम्ल वर्षा तब होती है, जब वातावरण सल्फर डाई ऑक्साइड (SO2) और नाइट्रस ऑक्साइड (NO2) से अत्यधिक प्रदूषित होता है।
अम्ल वर्षा में मुख्यतः H2SO4 तथा HNO3 भाग लेता है। अम्ल वर्षा में H2SO4 (70%) तथा HNO3 (30%) योगदान करता है।
- जब वर्षा जल का pH मान 4.6 से कम हो जाता है तब उसे अम्ल वर्षा कहते है।
- SO2 को क्रेकिंग गैस भी कहा जाता है।
- अम्ल वर्षा के कारण प्राचीन भवन तथा मूर्तियों के गलने को स्टोन लेप्रोसी कहते है।