चालक के नुकीले भाग की वक्रता त्रिज्या काफी कम होती है। अतः जब चालक पर काफी आवेश दिया जाये तो उसके नुकीले भाग में आवेश का पृष्ठघनत्व बहुत ही अधिक हो जायेगा और उस भाग के नजदीक वैद्युत तीव्रता काफी अधिक हो जायेगी।
इस स्थिति में हवा का विद्युतरोध भंग हो जाता है और आवेश नोक से निकलकर नजदीक में भंग आये हवा के कणों पर आने लगता है।
नोक से आवेश लेकर जैसे-जैसे हवा के कण हटते जाते हैं वैसे-वैसे नोक पर आवेश घटता है और उसकी पूर्ति करने के लिए चालक के अन्य भागों से आवेश आता है।
इस तरह चालक धीरे-धीरे अनावेशित हो जाता है। इस क्रिया को नोकों से विद्युत विसर्जन की क्रिया कहते हैं।
इसीलिए मशीन बनाते समय नोक नहीं छोड़ा जाता है।