पंचवर्षीय योजना के मुख्य प्रयोजन को बताएं। Panchvarshiy Yojana Ke Mukhya Prayojan Ko Bataen.
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पंचवर्षीय योजना के मुख्य प्रयोजन को बताएं। Panchvarshiy Yojana Ke Mukhya Prayojan Ko Bataen.

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पहली योजना (1951-56)   -कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता, उसके साथ सिंचाई व विद्धुत् की परियोजनाओं पर बल।

दूसरी योजना (1956-61)  -भारत में समाज के समाजवादी प्रतिमान का क्रियान्वयन, ताकि-

(i) राष्ट्रीय आय में 25 प्रविशत की वृद्धि हो,

(ii) आधारभूत व भारी उय्योगों पर विशेष बल के साथ तेजी से औद्योगीकरण हो,

(iii) रोजगार के अवसरों का वृह्त् प्रसार हो तथा

(iv) आय ब धन की असमानता का निराकरण हो जिससे आर्धिक शन्ति का यथासम्भव समान वितरण है। 

तीसरी योजना (1961-66)  -आत्म-पोषित विकास पर बल, ताकि-

(i) राष्ट्रौय आय में वृद्धि हो,

(ii) कृषि उत्पादन बढ़े जिससे उद्येग व निरांत की आवश्यकताएँ पूरी हों,

(iii) आधारभूत उद्योगों, जैसे-इस्पात, रसायन तथा विद्युत् का विस्वार हो,

(iv) मानव संसाधनों का बेहतर उपयोग करने हेतु रोजगार के अवसरों को बद्माया जाए वृथा

(v) आय व धन के असमान बितरण को ठीक किया जाए।

चौथी योजना (1969-74)   -विकास को गति को तेज फिया जाए, ताकि कृषि उत्पादन का उतार-चढ़ाव रके तया विदेशी सहायता की अनिश्चितताओं को दूर किया जाए। समाज के दुर्वल वर्गों का कल्याण करके सामाजिक न्याय का लक्ष्य सिद्ध हो तथा धन के संकेन्द्रण को रोका जाए।

पांचवी योजना (1974-79)  -मुद्रा-स्फीति की दर को नियन्त्रित किया जाए, दरिद्रता की रेखा से नीचे के लोगों का कल्याण हो, आर्षिक स्थिति में स्थायित्व त्हो।

छठी योजना (1980-85)  -गरीबी का निराकरण हो, कृषि तथा उद्योग क्षेत्र में अवसंरचना; असे-सड़के, पानी, बिजली आदि की सुविघाएँ उपलब्द हों।

सातवीं योजना 1985-90   -खाद्यान्न के उत्पादन तथा रोजगार के अवसरों में तीव्र वृद्धि पर बल, विकास ऐसा हो कि आधुनिकीकरण, आत्म-निर्भरता व सामाजिक न्याय की दशाएँ पैदा हों।

(आठवीं योजना 1992-97)   -देश के भुगतान-सन्तुलन को ठीक करने पर बल, भूमण्डलीकरण व उदारीकरण की लहरों के सन्दर्भ में नई आर्थिक नीतियों के सूत्रपात की आवश्यकता। 

(नौवीं योजना 1979-2002)   -सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर को बढ़ना तथा सात आधारभूत न्यूनतम सेवाओं पर विशेष बल-पेवजल, प्राधमिक स्वास्थ्य सेवा, प्राथमिक सेवा, प्राथमिक शिक्ष का सार्वभीमीकरण, गृहहीन लोगों को आवास की व्यवस्था, बालकों को पौष्टिक भोजन, ग्रामों व नगरों को सड़कों से जोड़ना तथा जन वितरण प्रणाली का बेहतर क्रियान्वयन।

(दसवीं योजना 2002-07)  -श्रम बल की तीव्र वृद्धि को मान्यता, गरीबी निराकरण के मुद्दे पर विशेष ध्यान, क्षेत्रीय किकास में सन्दुलन बनाए रखाने व नए आर्घिक सुधारों के सूत्रपात पर विशेष बल।

(11वीं योजना 2008-12)   -तीव्र व सर्व-समावेशी विकास चाहे ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी, कृषि हो या उद्योग, निजी क्षेत्र हो चा सार्वंजनिक, देश के सभी वर्गों य समाज के सभी अंगों को उसका लाभ पहुँचे।

(12वी योजना 2012-17)  -अधिक तीव्र, गहन व पोषणीय विकास।

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