भारत कृषि-प्रधान देश है। खेद की बात है कि पुरानी तकनीकों के प्रयोग तथा मानसून पर निर्भर रहने के कारण किसान लोग वह प्रगति नहीं कर सके जो उद्योग के क्षेत्र में हुई। धीरे-धीरे स्थिति में सुधार आया। किसानों ने हल की जगह ट्रैक्टरों का इस्तेमाल किया, नहरों व नलकूपों की मदद से सिंचाई की, गोबर की जगह कारखानों में बनी खाद डाली, अधिक उत्पादक बीज बोए, मशीनों से फसल की कटाई की। उन्होंने नए तरीके अपनाकर गेहूँ व चावल की अनेक किस्में विकसित की, वर्ष में दो की जगह चार फसलें उगायीं, वाणिज्यिक फसलों (जैसे-गत्ना, कपास, जूट, तिलहन व सब्जियों) की ओर अधिक ध्यान दिया।