सुपोषण पानी में पोषक तत्वों की अधिकता है जिससे जल स्थानों में जातियों की विविधता खत्म हो जाती है।
सुपोषण के कारण शैवाल की संख्या बढ़ जाती है, विशेषकर नीलहरित जीवाणु।
ये पूरे जल सतह पर फैल जाते हैं, ट्रौक्सिन का स्रावण करते हैं, घुलनशील ऑक्सीजन की कमी हो जाती है तथा जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है।