दो वर्ष तक मुक्त या असुरक्षित सहवास के बावजूद गर्भाधान न हो पाने की स्थिति को बंध्यता कहते हैं। ऐसे निःसंतान दंपत्तियों की मदद हेतु अब विभिन्न उपाय उपलब्ध हैं-
(क) पात्ते निषेचन- शरीर से बाहर लगभग शरीर के भीतर जैसी स्थितियों में निषेचन
(ख) भ्रूण स्थानांतरण- प्रयोगशाला में अनुरूपी परिस्थितियों में युग्मनज बनने के लिए प्रेरित किया जाता है। इस युग्मनज या प्रारंभिक भ्रूण (8 ब्लास्टोमीयर) को फैलोपीयन नलिकाओं में स्थानांतरित किया जाता है और जो भ्रूण 8 ब्लास्टोमीयर से अधिक होता है उसे परिवर्धन हेतु गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है।