लेखक (मलयज) अपने किस डर की बात करता है? इस डर की खासियत क्या है? Lekhak (Malyaj) Apne Kis Dar Ki Baat Karta Hai? Is Dar ki Khaasiyat Kya Hai?
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लेखक (मलयज) अपने किस डर की बात करता है? इस डर की खासियत  क्या है? Lekhak (Malyaj) Apne Kis Dar Ki Baat Karta Hai? Is Dar ki Khaasiyat Kya Hai?

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लेखक के अनुसार पिछले कई वर्षों से उसके जीवन का केन्द्रीय अनुभव डर वह नितान्त डरा हुआ व्यक्ति है। उसके डर के कई रूप हैं। प्रथम तो किसी बुरी-बुरी बीमारियों का डर। अगर घर का कोई व्यक्ति बीमार पड़ा तो उसकी चिकित्सा व्यवस्था कैसे करूँगा? दूसरा किसी के बाहर जाने और समय पर नहीं लौटने पर तरह-तरह की बुरी आशंकाओं से उत्पन्न डर।

इसके कारण वह कई कई घंटे तनाव में रहता है । वस्तुतः लेखक व्यक्तिगत जीवन में क्षयरोग से ग्रस्त होने के कारण प्रायः अस्वस्थ रहा। इस कारण तन के साथ-साथ मन भी दुर्बल हो गया। दुर्बल मन में डर जल्दी घुस आता है। डर तो स्वाभाविक है लेकिन प्रायः अस्वस्थ होने के कारण लेखक का मन दुर्बल हो गया है जिसके चलते उसे ज्यादा डर लगता है।

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