संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्यों एवं सिद्धान्तों को लिखें। Sanyukt Rashtra Sangh Ke Uddeshy AVN Siddhanton Ko Likhen.
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संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्यों एवं सिद्धान्तों को लिखें। Sanyukt Rashtra Sangh Ke Uddeshy AVN Siddhanton Ko Likhen.

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1938 ई० में लगभग राष्ट्र संघ मृतप्राय हो चुका था। यह एक असहाय संस्था बन गयी थी। द्वितीय महायुद्ध की शुरूआत 1939 ई० में हुई। केवल बीस वर्षों की अवधि में ही विश्व को दूसरी विध्वंसकारी घटना का सामना करना पड़ा । फलतः अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता पुनः महसूस की जाने लगी। फलतः विभिन्न देशों में काफी विचार-विमर्श के बाद 1944 में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई।

प्रास्तावना में संयुक्त राष्ट्र संघ के मौलिक उद्देश्यों को बतालाया गया है। प्रास्तावना का प्रारम्भ इन अर्थपूर्ण शब्दों के साथ होता है- 'हम संयुक्त राष्ट्र संघ के लोग ' । इसके विपरीत राष्ट्र संघ की प्रस्तावना में अनुबंध करनेवाले उच्चाधिकारी शब्दों का प्रयोग किया गया था। इसका अर्थ यह होता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ व्यक्तिगत राज्यों के बदले उनकी जनता की ओर से बोलता और काम करता है।

प्रस्तावना के अनुसार चार्टर की धारा एक में संयुक्त राष्ट्र संघ के निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य की चर्चा की गयी है -

(1) अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सुरक्षा कायम रखना ।

(2) राष्ट्रों के बीच समान अधिकारों और आत्म-निर्णय के सिद्धान्तों के आधार पर पूर्ण सम्बन्ध कायम करना ।

(3) आर्थिक, सामाजिक और मानवीय अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को सुलझाने में योगदान देना तथा मानवीय अधिकारों और मौलिक स्वाधीनताओं को सभी के लिए प्राप्ति का प्रयत्न करना ।

(4) इन सार्वजनिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सहयोग स्थापित करना ।

आधारभूत सिद्धान्त- चार्टर की धारा 2 में संयुक्त राष्ट्र संघ के निम्नलिखित आधारभूत सिद्धान्तों का उल्लेख किया गया है

(1) सभी सदस्य राष्ट्र एक समान प्रभुत्वसम्पन्न हैं।

(2) सदस्य राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्तर्गत अपने उत्तरदायित्वों एवं कर्त्तव्यों को ईमानदारी से निभायेंगे।

(3) सदस्य राष्ट्र संघ संयुक्त संघ के प्रतिकूल न तो शक्ति प्रयोग की धमकी देंगे और न शक्ति का प्रयोग करेंगे। -

(4) सदस्य - राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र संघ को इसके कार्यों में सहायता करेंगे और उन राष्ट्रों को सहायता नहीं देंगे जिनके विरूद्ध राष्ट्र संघ ने कोई कार्रवाई की हो ।

(5) संयुक्त राष्ट्र संघ यह प्रयास करेगा कि इसके गैर-सदस्य राष्ट्र भी इसके सिद्धान्तों के अनुसार आचरण करें।

(6) कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर साधारणतया राष्ट्र संघ किसी राष्ट्र के घरेलू मामलों में दखल नहीं देगा।

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