प्रस्तावना में संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations Organization) के चार उद्देश्य बताये गये हैं, जिन्हें चार्टर के अनुच्छेद-1 में स्पष्ट किया गया है। यह है —
- अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति (International Peace) और सुरक्षा को बनाये रखना।
- राष्ट्रों के मध्य मित्रता के सम्बन्ध बढ़ाना।
- अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा मानवता की समस्याओं को शान्तिपूर्ण रीति से सुलझाने में सहयोग देना।
- इन सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए राष्ट्रों की क्रियाओं में समन्वय स्थापित करने के लिए केन्द्र के रूप में कार्य करना।
अपने उपर्युक्त घोषित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए चार्टर का अनुच्छेद-2 सात सिद्धांत निर्धारित करता है। यह सात सिद्धांत है —
- संघ अपने सभी सदस्यों की सम्प्रभुता के अनुसार कार्य करेगा।
- सभी सदस्य उन सबके लिए सदस्यता से उत्पन्न होने वाले अधिकारों तथा लाभों को प्राप्त करने के लिए वर्तमान चार्टर के अनुसार अपने ऊपर लिये गये कर्त्तव्यों का सत्यता से पालन करेंगे।
- सभी सदस्य अपने अन्तर्राष्ट्रीय झगड़ों का निपटारा शान्तिपूर्ण ढंग से इस प्रकार करेंगे कि अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा तथा न्याय को खतरा न पैदा हो जाय।
- सभी सदस्य अपने अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में किसी राज्य की क्षेत्रीय अखंडता या राजनीतिक स्वतन्त्रता के विरुद्ध बल प्रयोग की धमकी देने से, या बल प्रयोग करने से अपने को पृथक् रखेंगे।
- सदस्य संयुक्त राष्ट्रसंघ के किसी कार्य में, जो कि इस चार्टर के अनुकूल हो, पूरा करने में सभी प्रकार की सहायता करेंगे तथा विरोधी राष्ट्र को सहायता नहीं देंगे।
- संयुक्त राष्ट्रसंघ इस बात को सुनिश्चित करेगा कि ऐसे राज्य जो इसके सदस्य नहीं हैं, अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सुरक्षा की स्थापना के लिए चार्टर के सिद्धान्तों के अनुसार कार्य करेंगे।
- चार्टर में दिया हुआ कोई भी विषय संयुक्त राष्ट्रसंघ को उन विषयों में हस्तक्षेप करने को प्राधिकृत न करेगा, जो कि वस्तुतः किसी राज्य के आन्तरिक क्षेत्राधिकार में हो, अथवा सदस्यों से यह अपेक्षा करेगा कि ऐसे विषयों को वर्तमान चार्टर के अन्तर्गत निर्धारित किये जाने के लिए समर्पित करें।
किन्तु इस सिद्धांत के अध्याय 7 के अन्तर्गत प्रवर्तन के उपायों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।