साक्षरता की दृष्टि से भारत में बिहार का उदाहरण विशेष उत्साहजनक नहीं है। राज्य की अधिकांश जनता निर्धनता और अभावों में जीवन बिताती रही है। फलतः एक ओर बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर धन व्यय होता है वहीं दूसरी ओर बच्चे के विद्यालय चले जाने से खेती या अन्य कार्य करने वाले एक श्रमिक की भी कमी हो जाती है। इसीलिए सरकार ने बिहार शिक्षा परियोजना का आरम्भ किया है। इसमें गरीब बच्चों, वयस्कों, औरतों और बूढ़ों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है। बिहार में सबके लिए शिक्षा, पांचवी कक्षा तक मुफ्त और अनिवार्य प्राथिमक शिक्षा और निरक्षरता का पूर्ण उन्मूलन की योजना है। वर्तमान में बिहार में कुल साक्षरता 47.53 प्रतिशत पुरुष साक्षरता 60.32 प्रतिशत और महिला साक्षरता 33.57 प्रतिशत है।
बिहार के प्रखंडों में चल रहा साक्षरता अभियान जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण सफल नहीं हो रहा है। अधिकतर पंचायतों में निर्धारित साक्षरता केन्द्र में आधे से कम पर निरक्षरों को पढ़ाया जा रहा है। कुछ पंचायतों को छोड़ किसी भी पंचायत में साक्षरता केन्द्रों पर पढ़ाई नहीं की जा रही है। मुखिया एवं प्रमुख की वर्चस्व की लड़ाई के कारण कोई भी इस कार्यक्रम के प्रति जागरूक नहीं है। प्रखंड के साक्षरता समन्वयक प्रयासरत हैं किन्तु सामूहिक प्रयास के बिना यह अभियान सफल नहीं हो सकता।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार मुजफ्फरपुर बिहार का सर्वाधिक साक्षर जिला है।