किसी भी राज्य की प्रगति में वहाँ की शिक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण योगदान होता है। बिहार की परम्परागत शिक्षा प्रणाली ब्रिटिश काल की देन है और फलस्वरूप उसमें प्रदेश में होने वाले क्रान्तिकारी परिवर्तन के अनुरूप अपने को ढालने की क्षमता नहीं है। अतः समय की मांग को देखते हुए नवीन शिक्षा नीति की आवश्यकता महसूस की गई। इसके लिए एक आयोग का गठन किया। आयोग के सिफारिश को राष्ट्रीय नीति के रूप में स्वीकार किया गया। इस प्रकार बिहार में भी 10+2+3 की नवीन शिक्षा प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ। यह नवीन शिक्षा प्रणाली बिहार की बहुमुखी प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। इस प्रणाली के कारण बिहार में विज्ञान और तकनीकि शिक्षा के क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है। मेडिकल कॉलेजों में नवीनतम उपकरणों को विदेश से मँगाकर विद्यार्थियों को शिक्षा दी जा रही है। इससे उनमें बहुत सुधार हुआ है। पहले ओपेन हार्ट सर्जरी तथा डायलिसिस के लिए बिहार के लोगों को अन्य प्रदेशों में जाना पड़ता था। लेकिन अब इन दोनों के इलाज के लिए बिहार के लोगों को बाहर नहीं जाना पड़ता है। यह बिहार में उच्च शिक्षा की प्रगति का प्रतीक है। बिहार में उच्च शिक्षा की प्रगति को इस बात से भी समझा जा सकता है कि यहाँ के छात्र देश की विभिन्न उच्च प्रतियोगिता परीक्षों में लगातार सफलता प्राप्त कर रहे हैं।
निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि बिहार में उच्च शिक्षा की स्थिति पहले की तुलना में कहीं ज्यादा अच्छी है। बिहार इस क्षेत्र में निरंतर इसी तरह आगे बढ़ता रहेगा।