शैक्षिक समावेशन के निम्नलिखित उद्देश्य निर्धारित किये गये हैं
(1) छात्राध्यापक या प्रशिक्षु विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के प्रति संवेदनशील हो सकेंगे।
(2) सामान्य विद्यालय में अध्यापक शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा आर्थिक दृष्टि से पिछड़े बालकों की पहचान कर उनकी उचित देखरेख कर निर्देशन दे सकेंगे।
(3) शैक्षिक समावेशन द्वारा विशेष आवश्यकता वाले बालकों की शैक्षिक, मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक समस्याओं की विवेचना कर सकेंगे