सीसे के दो नाद लेकर उन्हें दो-तिहाई भाग तक मिट्टी से भर देते हैं। नाद -A में और नाद-B में समान प्रकार के दो नन्हें पौधे आरोपित कर देते हैं।
नाद- A में एक समान रूप से सिंचाई करते हैं तथा नाद-B की मिट्टी में एक मिट्टी का बरतन गहराई तक व्यवस्थित करके उसमें जल भर देते हैं, मिट्टी की सिंचाई नहीं करते हैं।
कुछ दिनों के बाद पौधों को जड़ों को क्षति पहुँचाये बिना जब खोदकर बाहर निकालते हैं तब हम पाते हैं कि नाद-B के पौधे की जड़ें एक दिशा में मुड़ी हुई हैं जिस दिशा में जल से भरा हुआ मिट्टी का पात्र रखा हुआ था। नाद - A के पौधे की जड़ें बिलकुल सीधी हैं। इससे जलानुवर्तन का प्रदर्शन होता है।