घर्षण की उपयोगिता – दैनिक जीवन में घर्षण हमारे लिए अत्यन्त आवश्यक है । घर्षण के कारण ही स्कूटर, मोटर साइकिल, कार, ट्रक आदि में ब्रेक लगाना सम्भव होता है ।
घर्षण के अभाव में न तो हम जमीन पर चल पाते, न ही पेड़ आदि पर चढ़ पाते । बहुत चिकने फर्श पर चलना कठिन है और हम फिसल जाते हैं।
घर्षण के कारण हम रस्सी में गाँठ लगा पाते हैं, मकान आदि बना पाते हैं (क्योंकि घर्षण के अभाव में ईंटों आदि का एकदूसरे से जुड़ना असम्भव है) । घर्षण ही पहाड़ियों, चट्टानों आदि को घाटियों में लुढ़कने से रोकता है।
यदि रस्सी तथा हाथ के बीच घर्षण बल नहीं होता तो कुएँ से पानी नहीं खींचा जा सकता था। गीली तथा चिकनी रस्सी होने पर हाथ और रस्सी के बीच घर्षण बल कम हो जाता है, अतः कुएँ से पानी खींचना कठिन होता है।
जब कील लकड़ी में ठोकी जाती है तो घर्षण के कारण ही वह लकड़ी के भीतर रुकी रहती है, अत: लकड़ी के दरवाजे, मेज, कुर्सियाँ आदि बनाना सम्भव हो पाता है। -
- घर्षण कम होने से दैनिक जीवन में अनेक बार कठिनाई होती है। साइकिल, मोटर साइकिल आदि वर्षा के दिनों में प्राय: गीली सड़क पर फिसल जाती हैं, क्योंकि घर्षण कम हो जाने के कारण सड़क की सतह पहिये को रोक नहीं पाती। बर्फ पर गाड़ियों के पहिये फिसल जाते हैं तथा इसीलिए बर्फीले प्रदेशों में बिना पहियों वाली गाड़ी बनायी जाती है।
दैनिक जीवन में कई बार हमें घर्षण बढ़ाने की आवश्यकता होती है; जैसे- ढालू सड़क पर ट्रक, साइकिल आदि चलाते समय हल्के ब्रेक लगाकर घर्षण बढ़ाया जाता है ।
- घर्षण से हानियाँ - जब कोई वस्तु किसी धरातल के सम्पर्क में रहकर गति करती है, तो घर्षण बल के विरुद्ध उसे कुछ कार्य करना पड़ता है।
यह कार्य ऊष्मा में बदल जाता है। अतः मशीनों को चलाने में घर्षण के कारण अधिक कार्य करना पड़ता है जिससे अधिक ऊर्जा व्यय होती है।
घर्षण के विरुद्ध किये गये कार्य में ऊर्जा ऊष्मा में बदलकर मशीन को गर्म कर देती है। इस कारण मशीनों की दक्षता कम हो जाती है।
घर्षण के कारण ही मशीनों के पुर्जे घिसते हैं तथा उन्हें बदलने की आवश्यकता होती है।