स्थल मण्डल (Litho Sphere) : पटल तथा मैन्टल का सबसे ऊपरी भाग दोनों मिलकर सम्मिलित रूप से स्थलमण्डल बनाते हैं।
स्थलमण्डल मुख्यतः बेलोच चट्टानों का बना है और इसकी गहराई 70 से 100 किमी. है।
इसके नीचे दुर्बल मण्डल का प्लास्टिक तथा अपेक्षाकृत पिघला हुआ भाग है, जिसकी सामान्य मोटाई 130 से 160 किमी. है और कहीं-कहीं 250 किमी. तक है।
चूंकि स्थल मण्डल (Sthal Mandal) की पतली परत, दुर्बल मण्डल की पिघली हुई परत पर अवस्थित है अतः स्थलमण्डल अस्थिर है, और इसका निरूपण आसानी से हो जाता है।
प्लेट विवर्तनिकी, समुद्र तल का प्रसार, पर्वत निर्माण तथा ज्वालामुखी (Volcano) क्रिया आदि बातों से इसका महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध है।