भूकंप किसे कहते हैं? व्याख्या करें। Bhukamp Kise Kahate Hain? Vyakhya Karen.
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भूकंप किसे कहते हैं? व्याख्या करें। Bhukamp Kise Kahate Hain? Vyakhya Karen.

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भूकम्प का शाब्दिक अर्थ है पृथ्वी का काँपना या हिलना - डुलना। इसे , भूडोल आदि कई नामों से पुकारते हैं। वारसेस्टर के अनुसार, “भूकम्प भूकम्प भूचाल या हाला-डोलाधरातल कीवह कम्पन या दोलन क्रिया है जो धरातल के ऊपर अथवा नीचे शैलों के लचीलेपन व गुरुत्वाकर्षण की समस्थिति में यकायक विक्षोभ की अवस्था से प्रारम्भ होती है।"भूकम्प एक प्राकृतिक घटना है। यह पृथ्वी के भूपटल पर हलचल पैदा कर देती है। पृथ्वी के भूगर्भ में सदैव कुछ न कुछ परिवर्तन होते रहते हैं परन्तु जब उनका वेग अधिक हो जाता है तो पृथ्वी में कम्पन महसूस किया जाता है। यही भूकम्प है। भूकम्प के समय भू-पटल पर स्थित चट्टानें, मकान, पेड़, दरवाजे, खिड़कियाँ हिलने लगती हैं और ऐसा लगता है कि धरातल पलट जायेगा। भूकम्प की लहरों की तुलना किसी भी तालाब में पत्थर फेंकने से उत्पन्न लहरों से कर सकते हैं। तालाब में जिस स्थान पर पत्थर फेंका जाता है वहाँ से ही तालाब में लहरें उत्पन्न होती हैं और सबसे अधिक कम्पन का अनुभव यही स्थान करता है। केन्द्रीय स्थान से लहरें पानी में चारों ओर फैलती हैं। यदि हम तालाब में कई पत्तियाँ गिरा दें तो इन लहरों की गति के कारण वे अपने ही स्थान पर काँपती हैं। ठीक इसी प्रकार पृथ्वी के अन्दर से उत्पन्न प्रहार के कारण धरातल के ऊपर की शैलें काँपती हैं। जहाँ पर प्रहार होता है उसी के ठीक ऊपरी सतह को अधिकेन्द्र कहते हैं। जिस स्थान से लहरों की उत्पत्ति होती है उस केन्द्र को भूकम्प का उद्गम केन्द्र कहते हैं। भूकम्प से उत्पन्न लहरों को भूकम्प लहरें तथा इन लहरों को मापने वाले यन्त्र को सीस्मोग्राफ या भूकम्पमापी कहते हैं। भूकम्पों से संबंधित अध्ययन भूकम्प विज्ञान कहलाता है।वह कम्पन या दोलन क्रिया है जो धरातल के ऊपर अथवा नीचे शैलों के लचीलेपन व गुरुत्वाकर्षण की समस्थिति में यकायक विक्षोभ की अवस्था से प्रारम्भ होती है।"भूकम्प एक प्राकृतिक घटना है। यह पृथ्वी के भूपटल पर हलचल पैदा कर देती है। पृथ्वी के भूगर्भ में सदैव कुछ न कुछ परिवर्तन होते रहते हैं परन्तु जब उनका वेग अधिक हो जाता है तो पृथ्वी में कम्पन महसूस किया जाता है। यही भूकम्प है। भूकम्प के समय भू-पटल पर स्थित चट्टानें, मकान, पेड़, दरवाजे, खिड़कियाँ हिलने लगती हैं और ऐसा लगता है कि धरातल पलट जायेगा। भूकम्प की लहरों की तुलना किसी भी तालाब में पत्थर फेंकने से उत्पन्न लहरों से कर सकते हैं। तालाब में जिस स्थान पर पत्थर फेंका जाता है वहाँ से ही तालाब में लहरें उत्पन्न होती हैं और सबसे अधिक कम्पन का अनुभव यही स्थान करता है। केन्द्रीय स्थान से लहरें पानी में चारों ओर फैलती हैं। यदि हम तालाब में कई पत्तियाँ गिरा दें तो इन लहरों की गति के कारण वे अपने ही स्थान पर काँपती हैं। ठीक इसी प्रकार पृथ्वी के अन्दर से उत्पन्न प्रहार के कारण धरातल के ऊपर की शैलें काँपती हैं। जहाँ पर प्रहार होता है उसी के ठीक ऊपरी सतह को अधिकेन्द्र कहते हैं। जिस स्थान से लहरों की उत्पत्ति होती है उस केन्द्र को भूकम्प का उद्गम केन्द्र कहते हैं। भूकम्प से उत्पन्न लहरों को भूकम्प लहरें तथा इन लहरों को मापने वाले यन्त्र को सीस्मोग्राफ या भूकम्पमापी कहते हैं। भूकम्पों से संबंधित अध्ययन भूकम्प विज्ञान कहलाता है।

भूकम्प आने के निम्न कारण हैं-

( 1 ) भूपटल भ्रंश या विवर्तनिक हलचलें : भूपटल पर दबाव व खिंचाव की शक्तियों द्वारा कहीं मोड़ तथा कहीं भ्रंशन क्रिया होती है जिससे शैलें खिसककर ऊपर नीचे या दायें-बायें होने लगती हैं। खिंचाव की क्रिया में दो विपरीत दिशाओं वाली शक्ति कार्यरत रहती है जिससे भूपटल पर सामान्य व विषम दरारें पड़ जाती हैं। भिंचाव शक्ति के द्वारा शैलों पर दबाव पड़ता है व वे मोड़ों में बदलती रहती हैं। रीड महोदय ने बताया है कि भू-गर्भ में दबी हुई चट्टानें उतप्तं दशा में होने से पर्याप्त लचीली होती हैं। जब उन पर अधिक तनाव पड़ता है तो वे टूट जाती हैं, इससे भूपटल पर भूकम्प की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

( 2 ) ज्वालामुखी क्रिया : ज्वालामुखी क्रिया को भूकम्प की सहायक क्रिया माना जाता है। ये दोनों क्रियायें एक-दूसरे से अभिन्न मानी गयी हैं। जहाँ ज्वालामुखी उद्गार होते हैं वहाँ भूकम्प अवश्य आते हैं।

( 3 ) जलीय भार : कुछ भूगर्भवेत्ताओं का मत है कि धरातल पर जिन भागों में जल भरा हुआ है उनके नीचे स्थित चट्टानों में भार व दबाव के कारण हेर-फेर होने लगता है। ये भूकम्पीय स्थिति स्थायी झील, जलाशय एवं तालाबों में नहीं होती क्योंकि वह पर्याप्त समय बाद अपनी संतुलन स्थिति को स्थापित कर लेते हैं। नदियों में बड़े बाँध बनाकर विशाल मात्रा में जल एकत्रित कर लेने से बाँध क्षेत्रों में शैलों का संतुलन बिगड़ जाता है। महाराष्ट्र राज्य के कोयना बाँध क्षेत्र तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में कोलोरेडो नदी पर बने मीड नामक जलाशय के कारण जो भूकम्प आये उनका प्रधान कारण जलीय भार माना जाता है।

( 4 ) भू-संतुलन में अव्यवस्था : यह स्थिति भी भूकम्प को बढ़ावा देती है क्योंकि भूपटल पर दीर्घकालीन या अल्पकालीन असंतुलन हो जाता है तो भूकम्प की स्थिति पैदा हो जाती है। कई बार भू-स्खलन की स्थिति होने से भी भूकम्प आ सकते हैं।

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