सरकार ने नमक के व्यवहार पर कर (Tax) लगा रखा था। साथ ही, इसके व्यक्तिगत ढंग से उत्पादन करने पर भी प्रतिबंध लगा हुआ था।
इससे लोगों में व्यापक असंतोष था। गाँधीजी नमक कानून को ब्रिटिश शासन का सबसे दमनकारी पहलू मानते थे।
इसलिए, इस कानून को भंग कर वे समाज के सभी वर्गों को एकजुट करना चाहते थे। नमक कानून भंगकर उन्होंने सन् 1930 ई. में सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) आरंभ कर दिया।