वर्ष 1922 में जेल से छूटने के बाद चितरंजन दास (chittaranjan Das) को गया में कांग्रेस सम्मेलन का निर्वाचित अध्यक्ष घोषित किया गया।
असहयोग आंदोलन की समाप्ति के बाद, देशबंधु ने सभा प्रवेश कार्यक्रम के जरिए, जैसे सभाओं के भीतर से असहयोग, भारतीय राजनीति को नया आयाम देने का प्रयास किया।
परंतु सी. राजगोपालाचारी, वल्लभभाई पटेल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, एन.जी.रंगा, आयंगर आदि नेताओं ने परिषद में प्रवेश करने की नीति का विरोध किया।
इस अधिवेशन में काउंसिल में प्रवेश न लेने का प्रस्ताव पारित हुआ, फलस्वरूप चितरंजन दास ने त्याग-पत्र दे दिया। इसके उपरांत उन्होंने कांग्रेस के भीतर से स्वराज पार्टी की स्थापना की।