स्वदेशी आंदोलन की औपचारिक घोषणा 7 अगस्त 1905 को की गई थी।
लॉर्ड कर्जन ने 19 जुलाई, 1905 को बंगाल विभाजन की घोषणा की थी, लेकिन बंगाल का विभाजन विधिवत रूप से 16 अक्टूबर, 1905 को हुआ था।
लॉर्ड कर्जन का मानना था कि उसने बंगाल का विभाजन प्रशासनिक सुविधा को ध्यान में रखते हुए किया है, जबकि वास्तविक कारण यह था कि लॉर्ड कर्जन ने सम्प्रदायिकता को ध्यान में रखते हुए बंगाल का विभाजन किया है ताकि हिन्दू और मुसलमानों के बीच दूरी बढ़ सके ।
बंगाल विभाजन के विरोध में स्वदेशी आन्दोलन चलाया गया था।