भारत में सूती वस्त्रोद्योग को दो सेक्टरों में बाँटा जा सकता है— संगठित सेक्टर और विकेंद्रित सेक्टर
i. संगठित सेक्टर— इसके अंतर्गत मिल उद्योग आते हैं। मिल के द्वारा सूती वस्त्र का उत्पादन भी तीन सेक्टरों में होता है—सार्वजनिक सेक्टर, सहकारी सेक्टर और निजी सेक्टर।
सन् 1998 ई० में भारत में 1782 मिलें थीं, जिनमें से 192 सार्वजनिक सेक्टर में, 151 सहकारी सेक्टर में और सबसे अधिक 1439 मिलें निजी सेक्टर में थी।
संगठित सेक्टर के उत्पादनों में तेजी से कमी आई 2000 में केवल 6% रह गया है। है। यह 20वीं शताब्दी के मध्य में 81% से घटकर 2000 में केवल 6% रह गया है।
ii. विकेंद्रित सेक्टर— विकेंद्रित सेक्टर के अंतर्गत हथकरघों (खादी सहित) और विद्युत् करघों में उत्पादित कपड़ा आता है।
विकेंद्रित बिजली करघा क्षेत्र देश की माँग पूरी करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
देश में उत्पादित सूती वस्त्र का 59.2% विकेंद्रित सेक्टर में विद्युत् करघों द्वारा और लगभग 19% हथकरघा द्वारा उत्पादित किया जाता है।