मनुष्य जिन परिस्थितियों एवं प्राकृतिक संसाधनों से घिरकर रहता है, वह चाहे सजीव हों, या निर्जीव, देखे जा सकने वाले हों अथवा महसूस किये जा सकने वाले हों, एक साथ मिलकर पर्यावरण की रचना करते हैं।
पर्यावरण को अध्ययन की सुविधा के लिए हम तीन प्रमुख खण्डों में विभाजित कर सकते हैं -
1. भौतिक पर्यावरण (Physical Environment) - पर्यावरण का वह भाग जिससे प्रकृति में मौजूद निर्जीव पिण्डों का, उनकी क्रियाओं, अनुक्रियाओं, अभिक्रियाओं एवं प्रतिक्रियाओं का जीवन पर सीधा अथवा परोक्ष रूप से असर पड़ता है, भौतिक पर्यावरण कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, भौतिक पर्यावरण को हम निम्नलिखित अवयवों से समझ सकते हैं -
(अ) वायु या हवा (Air)
(ब) ताप (Temperature)
(स) मृदा (Soil)
(द) जल (Water)
(य) ऊर्जा (Energy)।
2. जैविक पर्यावरण (Biological Environment) पर्यावरण का वह भाग जिसमे प्रकृति मौजूद समस्त वस्तुओं का समावेश हो, जैतिक पर्यावरण में आते हैं। इन्हें भी दा श्रणियों में बाय गया है।
(1) जंतु समुदाय (Animals) इस अति सूक्ष्म जीव प्रजा के अमीबा से लेकर कार्डल समूह तक के समस्त जीव आते हैं।
(ii) वनस्पति समुदाय (Planta) इस अति सूक्ष्म वनस्पतियाँ, औषधियों से लेकर पृथ्वी पर विद्यमान सिनकोना वृक्ष समूह तक के समस्त पेड़ पौधे समाहित हैं।
3. सामाजिक एवं सांस्कृतिक पर्यावरण (Social & Cultural Environment) मनुष्य क जीवन के तौर तरीके, रहन सहन, खान-पान, मनुष्य के जीवन के विभिन्न आयाम पर पड़ने वाल उत्सव, समारोहों और संस्कारों को सामाजिक और सांस्कृतिक पर्यावरण कहा गया है।