मगध साम्राज्य (Magadh Empire) का स्थान प्राचीन भारतीय इतिहास की महत्त्वपूर्ण घटनाओं में से एक है।
मगध के उत्थान के लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी थे—
i. आर्थिक स्थिति : मगध के उत्थान में आर्थिक कारणों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। प्रकृति ने मगध को मुक्तहस्त से वरदान दिया था यहाँ की भूमि उर्वर थी और धान की खेती अच्छी होती थी।
जहाँ धान की खेती अच्छी होती है वहाँ की जनसंख्या अधिक होती है। इस तरह मगध अन्य गणराज्यों पर भारी पड़ता था।
मगध के पास घने जंगल थे जहाँ से इमारती लकड़ी प्राप्त होती थी साथ ही लोहे के खान भी थे जिससे उन्नत किस्म के अस्त्र-शस्त्र बनाये जाते थे।
गंगा और उसके उपनदियों के समीप होने के चलते व्यापार-वाणिज्य भी काफी विकसित अवस्था में था। साथ ही जंगलों में हाथी मिलती थी जो उस समय अग्रिम पंक्ति में होता था।
ii. भौगोलिक कारण : मगध की राजधानी गंगा, सोन और गंडक नदियों के संगम पर जलदूर्ग के समान बसा था और यह दुश्मनों के आक्रमण से सुरक्षित था।
मगध की पहली राजधानी राज़गृह सात पहाड़ियों से घिरा हुआ था। यह भी दुश्मनों के आक्रमण से सुरक्षित था।
अतः शत्रुओं के आक्रमण के भय से निश्चित होकर मगधवासी एवं शासकगण अपनी पूरी क्षमताओं और साधनों को मगध की उन्नति और प्रगति में निरन्तर लगा सके।
iii. प्रतापी राजाओं का योगदान : मगध के पास एक से बढ़कर एक महाबली योद्धा थे जैसे बिम्बिसार, अजातशत्रु, महापद्मनन्द, चन्द्रगुप्त आदि।
इन महान साम्राज्यवादी शासकों ने मगध के उत्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान किया। दूसरे अन्य गणराज्यों के पास ऐसा नहीं था। इसलिए मगध का उत्थान संभव हो सका।