हमारे राज्य की वित्तीय संस्थाओं को दो मुख्य वर्गों में बाँटा जा सकता है-
- संगठित क्षेत्र की संस्थागत वित्तीय संस्थाएँ
- असंगठित क्षेत्र की गैर-संस्थागत वित्तीय संस्थाएँ
संस्थागत वित्तीय संस्थाएँ वे हैं जिनपर भारतीय रिजर्व बैंक अथवा सरकार का नियंत्रण रहता है।
इसके विपरीत, गैर-संस्थागत वित्तीय संस्थाओं में महाजन, भू-स्वामी, व्यापारी आदि शामिल हैं जो साख के परंपरागत स्रोत हैं।
इन संस्थाओं पर सरकार का कोई प्रभावपूर्ण नियंत्रण नहीं है।
राज्य में कार्यरत वित्त के संस्थागत साधनों के भी तीन मुख्य प्रकार हैं- बैंकिंग संस्थाएँ, राज्य की वित्तीय संस्थाएँ तथा राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएँ। इनमें बैंकिंग संस्थाएँ सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं।
बैंकिंग संस्थाओं में व्यावसायिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा सहकारी बैंकों को सम्मिलित किया जाता है।