अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष(International Monetary Fund) की स्थापना 1944 में हुई थी इसका उद्देयस विश्व के देशों के बीच अधिक सहयोग की राह तैयार करना है। आई.एम.एफ का मुख्य उद्देश्य वित्तीय स्थिरता के साथ जन सुविधाएँ के समाधन के लिए एक मंच का कार्य करता है। अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष 185 देशों का संगठन है।
आई.एम.एफ. के महत्वपूर्ण कार्य(I.M.F. Important functions of):-
- आई.एम.एफ. आर्थिक रूट से कमजोर देशों की सहायता करता है।
- आई.एम.एफ. विभिन्न देशों के राष्ट्रीय बैंकों को सलाह देता है।
- आई.एम.एफ. शोध सांख्यिकी के आधार पर पुर्वानुमान उपलब्ध कराता है।
- आई.एम.एफ आर्थिक संकट का सामना करने के लिए सदस्य देशों को ऋण उपलब्ध कराता है।
- आई.एम.एफ. सदस्य राष्ट्रों को तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण देता है। इस प्रकार अंतराष्ट्रीय स्तर पर आई.एम.एफ. की भूमिका महत्वपूर्ण है।
वैश्विक संकट और आई.एम.एफ. (Global Crisis and IMF):- वर्तमान आर्थिक मंदी के दौर में वित्तीय स्थिरता को नहीं प्राप्त किया जा सकता तथा खाद्य वस्तुओं और ईधन के मूल्यों में निरंतर वृद्धि हो रही है जिससे गरीब देशों के लिए संकट उत्पन्न हो गया है इस संकट से निपटने के लिए आई.एम.एफ नि.लि. कार्य कर रहा है:-
1. ऋण उपलब्ध कराना(Providing Credit):- आई.एम.एफ सदस्य देशों को आर्थिक मंदी से बाहर निकालने के लिए आर्थिक ऋण देता है और उन देशों की सहायता करता है जो खद्य और ईधन के संकट का सामना कर रहे है।
2.अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण मजबूत करना(Control Over The Economy):- आई.एम.एफ ने आर्थिक सेवा में सुधार के लिए माइक्रो इकोनॉमिक पॉलिसी के तहत सदस्य देशों का मांग दर्शन करने के लिए अनेक कदम उठाये है इसने अन्तराष्ट्रीय स्तर आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए उपाय किए जिनके द्वारा देशों की अर्थव्यवस्थाओं को आपस में जोड़ा गया है।
3. वैश्विक आर्थिक संतुलन में सहायता(Help in Global Economic Balance):- आई.एम.एफ आर्थिक विकास का विश्लेषण करने और इसे बढ़ावा देने के लिए सदस्य देशों के वित्तमंत्री तथा केन्द्रीय बैंक के गवर्नर आदि प्रतिनिधियों की बैठक बुला सकता है और उन्हें आर्थिक संकट से निपटने के लिए दिशा निर्देश जारी करता है।
4. पूंजी बाजार का विकास(Capital Market Development):- आई.एम.एफ. अधिक से अधिक ऐसे कार्य करता है जिससे पूंजीबाजार का विकास हो सके। इसके लिए आई.एम.एफ अपने सदस्य राष्ट्रो के अधिकारियों को वित्तीय व्यवस्था के प्रबंधन मौद्रिक एवं विनिमय व्यवस्था तथा पूंजीबाजार के सम्बन्ध में प्रशिक्षण किया जाता है।
5. गरीबी निवारण के उपाय(Poverty Alleviation Measures):- विश्व में 200 करोड से अधिक लोग ऐसे है जिनकी प्रतिदिन की आय 1 डालर से कम है तथा करोडों लोग गरीबी के कारण निम्न जीवन स्तर पर जीवन व्यतीत करते है ऐसे लोग कुपोषण का शिकार है इसलिए आई.एम.एफ गरीबी निवारण के उपाय करता है और उन देशों की आर्थिक सहायता करता है जिन देशों में गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी अधिक है।
6. वित्तीय क्षेत्र की नाजुकता का निर्धारण करना(Determining the Fragility of the Financial Sector):- विश्व में सतत प्रजी प्रवाह के लिए अर्थव्यवस्था में स्थिरता आवश्यक है इसके लिए निमित उदार वित्तीय व्यवस्था की आवश्यकता को ध्यान में रखना अनिवार्य होता है इसके अलावा आई.एम.एफ विश्व देशों को उनके वित्तीय क्षेत्रों में होने वाली कठिनाईयों की ओर सतर्क करता है। तथा इनसे निपटने के लिए प्रशिक्षण देने का कार्य भी करता है।
आई.एम.एफ के नियमों में सुधार:- मई 2008 में इसके सदस्य देश ने एक द्विवर्षीय पैकेज की व्यवस्था की है जिससे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में सदस्य देशों के प्रतिनिधित्व में सुधार लाया जा सके। यह स्वयं की भी कोशिक रही है कि कोष को अधिक राजस्व कहाँ और किस प्रकार से उपलब्ध हो सके।