अर्द्धचालक व ठोस होते हैं जिनकी चालकता चालक और विद्युत् चालक के बीच होती है अर्थात् 106 से 101 2-1 m−1 के मध्य परास में हो।
n - प्रकार के अर्द्धचालक - सिलिकन और जरमेनियम चौदहवें वर्ग से सम्बन्धित तत्वों को जब पन्द्रहवें वर्ग के तत्व जैसे P अथवा As के साथ अपमिश्रित किया जाता है उत्पन्न अर्द्धचालक 11 प्रकार के अर्द्धचालक कहलाते हैं । चिह्न n ऋणात्मक आवेश को दर्शाता है।
वर्ग 15 के तत्त्व एक इलेक्ट्रॉन अधिक रखते हैं। यह इलेक्ट्रॉन चालकता में वृद्धि करते हैं
p- प्रकार के अर्द्धचालक - वर्ग 13 के तत्व केवल तीन संयोजी इलेक्ट्रॉन रखते हैं ये इलेक्ट्रॉन रिक्त या इलेक्ट्रॉन छिद्र कहलाते हैं।
ये छिद्र क्रिस्टल से आसानी से गति कर सकते हैं जिससे विद्युत् चालकता उत्पन्न होती है। जब सिलिकन अथवा जरमेनियम को वर्ग 13 के तत्वों जैसे B, Al अथवा Ga के साथ अपमिश्रित किया जाता है तब चालकता में वृद्धि होती है।
ऐसे अर्द्धचालकों को चालकता में वृद्धि से चढ़ती है जबकि धातुओं की चालकता तापमान में वृद्धि से घटती है। ये अर्द्धचालक p प्रकार के अर्द्धचालक कहलाते हैं । यहाँ p धनायन आवेश को दर्शाता है।