हिमालय तथा प्रायद्वीपीय भारत की नदियों की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए। Himalaya Tatha Praydvipiya Bharat Ki Nadiyon Ke Mukhya Visheshtaon Ka Varnan Karen.
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हिमालय तथा प्रायद्वीपीय भारत की नदियों की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए। Himalaya Tatha Praydvipiya Bharat Ki Nadiyon Ke Mukhya Visheshtaon Ka Varnan Karen.

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हिमालय तथा प्रायद्वीपीय भारत की नदियों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

(i) हिमालय की नदियाँ— हिमालय की अधिकांश नदियाँ बारहमासी अथवा स्थायी होती हैं।

उन्हें वर्षा के जल के अलावे पर्वत की चोटियों पर जमे हिम के पिघलने से सालों भर जलापूर्ति होती रहती है।

सिंधु एवं ब्रह्मपुत्र जैसी भारत की प्रमुख नदियाँ हिमालय से निकलती हैं।

ये नदियाँ प्रवाह के क्रम में पर्वतों को काटकर गॉर्ज का निर्माण करती हैं।

हिमालयजनित नदियाँ उद्गम थल से समुद्र तक की यात्रा के क्रम में अपने मार्ग के ऊपरी भाग में तीव्र अपरदन करती हैं और सिल्ट (गाद), बालू एवं मिट्टी जैसे अपरदित पदार्थों का संवहन करती हैं।

नदियाँ ज्यों-ज्यों आगे बढ़ती हैं, अवसाद की मात्रा बढ़ती जाती है।

परिणामस्वरूप नदियाँ विसर्पित होकर गोखुर झील, बाढ़ का मैदान और डेल्टा जैसी अनेक आकृतियों का निर्माण करती हैं।

(ii) प्रायद्वीपीय नदियाँ इस प्रकार की अधिकांश नदियाँ मौसमी होती है, जिनका मुख्य स्रोत वर्षा का जल है।

ग्रीष्मऋतु तथा शुष्क मौसम में जब वर्षा नहीं होती है, तो यहाँ की बड़ी-बड़ी नदियों का जल स्तर बढ़कर छोटी-छोटी धाराओं या नलिकाओं में परिणत हो जाता है।

प्रायद्वीपीय भारत की अधिकांश नदियाँ पश्चिमी घाट से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।

ये नदियाँ छिछली और कम लबी होती हैं। ये नदियाँ अनेक जगहों पर जलप्रपात का निर्माण करती हैं।

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