मुद्रण संस्कृति (Printing Culture) ने निम्नांकित तीन प्रकार से क्रांति लाने में सहयोग दिया, जो इस प्रकार हैं :
1. इसने ज्ञानोदय के विचारों का प्रसार किया। इन्हें पढ़कर लोगों में नई चेतना जगी। मॉन्टेस्क्यू, वाल्तेयर और रूसो के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा।
2. मुद्रण ने वादविवाद की संस्कृति का भी विकास किया। लोग अब परंपराओं और अंधविश्वासों को तर्क की कसौटी पर कसने लगे।
3. बुद्धिजीवियों ने निरंकुशवाद, दरबार की विलासिता एवं उसके नैतिक पतन को उजागर किया। इसने राजशाही के विरुद्ध असंतोष को बढ़ावा देकर क्रांति की भावना को बलवती बनाया।