मुगल चित्रकला जहांगीर (Jahangir) के काल में अपने शिखर पर पहुंच गई थी।
जहांगीर चित्रकला का बड़ा कुशल पारखी था। मुगल शैली में मनुष्यों का चित्र बनाते समय एक ही चित्र में विभिन्न चित्रकारों द्वारा मुख, शरीर तथा पैरों को चित्रित करने का रिवाज था।
जहांगीर का दावा था कि वह किसी भी चित्र में विभिन्न चित्रकारों के अलग-अलग योगदान को पहचान सकता था।
शिकार, तथा राज दरबार के दृश्यों को चित्रित करने के अलावा जहांगीर के काल में मनुष्यों तथा जानवरों के चित्रों को बनाने की कला में विशेष प्रगति हुई।
अबुल हसन ने जहाँगीर के सिंहासनारोहण का एक चित्र बनाया था, जिसे जहांगीर की आत्मकथा 'तुजुक-ए-जहांगीरी' के मुख्य पृष्ठ पर लगा दिया गया। इस प्रकार जहांगीर के काल को 'मुगल चित्रकला का स्वर्णयुग' कहा जाता है।