मधुबनी की लोक चित्रकारी को मधुबनी चित्रकला कहते हैं। मिथिला की इस चित्रकला को अब मधुबनी पेंटिंग कहा जाता है। मिथिला की इस चित्रकला में महिला वर्ग की प्रधानता रही है। इस लोक चित्रकला के चित्र में रंग, विषय, शैली और चित्रकार वर्ग में विविधता रही है। पहले के चित्रों में कलाकारों के परिवार में निर्मित प्राकृतिक रंगों के ही प्रयोग होते थे, परन्तु अब उनमें कृत्रिम रंगों का खुलकर उपयोग हो रहा है। इस चित्रकला में रेखा। तथा रंग के अनेक सूक्ष्म प्रयोग देखे जाते हैं। अब इस चित्रकला के मुद्रित रूप भी मिलते हैं। मधुबनी पेंटिंग का सम्बन्ध विभिन्न पूजा-पाठ और मांगलिक अवसरों से तो रहा ही है, उसका एक प्रमुख भाग तांत्रिक उद्देश्यों से भी जुड़ा रहा है।