मौलिक अधिकार की सूचि से संपत्ति का अधिकार 1978 ई. में हटाया गया।
संपत्ति के अधिकार को 44वें संविधान संशोधन द्वारा मौलिक अधिकार से विधिक अधिकार में परिवर्तित कर दिया गया था।
वर्ष 1978 में 44वें संविधान द्वारा संविधान के मूल अधिकारों से संबंधित अनुच्छेद-19 (च) तथा अनुच्छेद-31 में सम्मिलित सम्पत्ति के मूल अधिकार को मूल अधिकारों की श्रेणी से हटाकर संविधान के अनुच्छेद-300 (क) में डाल दिया गया है।