परमाणु संरचना की विस्तृत जानकारी दें। Parmanu Sanrachna Ki Vistrit Jankari Den
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परमाणु संरचना की विस्तृत जानकारी दें। Parmanu Sanrachna Ki Vistrit Jankari Den. Or, Give an Account of the Structure of the Atom in Hindi.

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परमाणु संरचना (Atomic Structure) : सर्वप्रथम डाल्टन (Dalton) नामक वैज्ञानिक ने 1803 ई० में परमाणु सिद्धांत का प्रतिपादन किया। डाल्टन के सिद्धांत के अनुसार —

  • सभी रासायनिक तत्त्व छोटे-छोटे कणों से मिलकर बने होते हैं, जिन्हें खंडित नहीं किया जा सकता है। यही छोटे कण परमाणु (Atom) कहलाते हैं।
  • परमाणु का किसी भी रासायनिक अथवा भौतिक विधि से विभाजन नहीं किया जा सकता है। तथा
  • भिन्न- भिन्न तत्त्वों के परमाणु तो भिन्न-भिन्न प्रकार के के होते हैं, परन्तु एक ही तत्त्व के परमाणु प्रत्येक अवस्था में समान होते हैं।

फिर टॉमसन (Tomson) नामक वैज्ञानिक ने सन् 1904 ई० में परमाणु के लिए एक मॉडल जिसे टॉमसन का मॉडल (Tomson's Model) कहते हैं, प्रस्तुत किया। इसके अनुसार —

प्रत्येक परमाणु ऐसे गोले के रूप में होता है, जिसमें धन आवेश समान रूप से वितरित (Distributed) रहता है, जिसमें स्थान-स्थान पर इलेक्ट्रॉन सटे रहते हैं।

ये इलेक्टॉन गोले के भीतर ऐसी स्थितियों पर हैं, जिससे उनपर धन आवेश के कारण प्रभावी कुल बल संतुलन को जाता है।

टॉमसन का मत था, कि इलेक्ट्रॉन अपनी माध्य स्थिति (Mean Position) के इधर- उधर गतिशील रहते हैं। परन्तु टॉमसन का यह मॉडल कुछ वैज्ञानिक तथ्यों की व्याख्या नहीं कर सका।

परमाणु की सही संरचना जानने के लिए रदरफोर्ड (Rutherford) ने सन् 1911 ई० में रदरफोर्ड मॉडल (Rutherford Model) को प्रतिपादित किया।

उन्होंने स्वर्ण-पत्र (Gold Leaf) द्वारा अल्फा-किरणों के प्रकीर्णन (Scattering) का अध्ययन किया और निम्नलिखित बातें बतलाई।

  1. परमाणु का लगभग कुल द्रव्यमान तथा कुल धन आवेश (Total Positive Charge) उसके केन्द्र पर नाभिक (Nucleus) जिसकी त्रिज्या लगभग 10-10 मीटर होती है, में संकेन्द्रित (Concentrated) रहता है।
  2. नाभिक (Nucleus) के चारों ओर 10-10 मीटर की त्रिज्या के खोखले गोले में इलेक्ट्रॉन (Electron) वितरित (Distributed) रहते हैं; और इनका अर्थात् इलेक्ट्रॉनों का कुल ऋण आवेश नाभिक के धन आवेश के बराबर होता है। तथा
  3. इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों और विभिन्न कक्षों (Orbits) में घूमते रहते हैं।

रदरफोर्ड का यह मॉडल बहुत से वैज्ञानिक तथ्यों की तो व्याख्या कर सका, परन्तु कुछ तथ्यों (जैसे – हाइड्रोजन का वर्णपट) को समझाने में असफल रहा।

अतः 1913 ई. में नील्स बार (Niels Bohr) ने, जिसे बोर का मॉडल (Bohr's Model) कहा जाता है, का क्वांटम सिद्धांत (Quanturn Theory) लगातार हाइड्रोजन के वर्णपट की सफल व्याख्या की।

क्वांटम सिद्धांत को ऐसी स्थिति में लागू करने के लिए बोर ने नाभिक के चारों ओर घूमते हुए इलेक्ट्रॉन पर कुछ प्रतिबन्ध (Restriction) प्रस्तावित कर अपने परमाणु मॉडल को परिभाषित किया जिन्हें बोर के अभिग्रहण (Bohr's Postulates) कहा जाता है।

इसमें से कुछ मुख्य अभिग्रहण निम्नलिखित हैं —

  • इलेक्ट्रॉन जो नाभिक के चारों ओर वृत्तीय कक्षाओं (Circular Orbits) में घूमते हैं, वह कूलम्ब प्रभाव (Coulomb's Effect) के कारण है।
  • परमाणु (Atom) में एक धनावेशित न्यूक्लियस (Nucleus) होता है, जिस पर ze आवेश होता है। जहाँ z परमाणु का क्रमांक (Atomic Number) है, और (–) इलेक्ट्रॉन पर आवेश है।
  • जब कोई इलेक्ट्रॉन ऊँची कक्षा (Higher Orbit) से नीचे वाली कक्षा (Lower Orbit) में आता है, तो यह विकिरण ऊर्जा (Radient Energy) उत्सर्जित करता है। परन्तु जब वह नीचे वाली कक्षा ऊँची कक्षा में जाता है, तब विकिरण अवशोषित (Absorb) करता है।
  • इलेक्ट्रॉन सभी कक्षाओं में न्यूक्लियस के चारों ओर नहीं घूमते बल्कि उन्हीं कक्षाओं (Orbits) में घूम सकते हैं, जिनमें उनका कोणीय संवेग (Angular Momentum) एक नियतांक के पूर्ण गुणज के बराबर होता है।

इतना सब होने पर भी बोर के सिद्धान्त के कुछ कमियाँ (Short Comings) थीं।

इसके बाद सॉमरफिल्ड (Sommerfield) नामक वैज्ञानिक ने एक अन्य सिद्धान्त दिया,  जिसे सॉमरफिल्ड का वेक्टर मॉडल (Sommerfield Vector Model) कहते हैं।

इसके अनुसार इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार कक्षाओं (Circular Orbits) में नहीं वरन् दीर्घवृत्तीय कक्षाओं (Elliptical Orbits) में घूमते हैं।

इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी बताया कि इलेक्ट्रॉन तथा नाभिक (Nucleus) का भ्रमिगति (Spinning Motion) भी होता है।

फिर पौली (Pouli) नामक एक अन्य वैज्ञानिक ने एक नया सिद्धान्त प्रतिपादित किया, जिसे पौली का उपवर्जन सिद्धान्त (Pouli's Exclusion Principle) कहते हैं।

पौली के इस सिद्धान्त को बहुधा समानता का सिद्धान्त (Principle of Equivalence) भी कहते हैं।

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