प्रोटीन के बारे में अपनी जानकारी को लिखेंI Protein Ke Bare Mein Apni Jankari Ko Likhen.
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 प्राटान (Protein )

परिचय- 'प्रोटीन' शब्द की व्युत्पत्ति ग्रीक शब्द 'प्रोटिऔस' से हुई है। प्रोटिऔस का अर्थ होता है सबसे पहले आना या मैं प्रथम हूँ। मानव शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों में प्रोटीन सबसे पहले आता है। 1838 ई० में मल्डर नामक महान डच वैज्ञानिक ने इसका अर्थ लगाया था।

संरचना (Composition) - प्रोटीन एक रासायनिक पदार्थ है। यह एक कार्बनिक यौगिक (Carbonic compound) है। इसकी संरचना में हाइड्रोजन (Hydrogen-H) कार्बन (Carbon-C) औक्सिजन (Oxygen - O) नाइट्रोजन (Nitrogen N) प्रमुख घटक होते हैं। इनके अतिरिक्त कभी-कभी इसमें लोहा (Ferrous F) गंधक (Sulphur S ) तथा फासफोरस (PhosphorusP) आदि भी वर्तमान होते हैं। - 

इस जटिल रासायनिक यौगिक में लगभग कार्बन का 50% ऑक्सीजन का 32% नाइट्रोजन का 15 प्रतिशत हाइड्रोजन का 7 प्रतिशत तथा कभी-कभी फास्फोरस और सल्फर का तीन-तीन प्रतिशत तथा कोबाल्ट, आयोडिन आदि भी अल्प प्रतिशत में पाया जाता है।

प्रोटीन के स्रोत (Sources) प्रोटीन का निर्माण मनुष्य या पशु पक्षी स्वयं नहीं कर सकते हैं। प्रोटीन का निर्माण पेड़-पौधे कर सकते हैं। अतः सभी प्रकार के प्रोटीनों के वास्तविक मूल स्रोत पेड़-पोधे ही हैं। पशु-पक्षी इन्हें पेड़-पौधे से प्राप्त करते हैं। मनुष्य इन्हें पशु-पक्षियों, पेड़ पौधों एवं शाक-सब्जियों से प्राप्त करते हैं। -

प्राणिज प्रोटीन के स्रोत सभी प्रकार गोश्त, स्तनपायी पशुओं के दूध तथा दूध से बने विभिन्न प्रकार के पदार्थं जैसे - खस्सी, मुर्गी, कबूतर आदि के गोश्त, गाय, बकरी आदि के दूध तथा दही, मक्खन आदि।वानस्पतिक प्रोटीन के स्रोत- सभी प्रकार के खाद्यान्न, जैसे- गेहूँ, चावल आदि सभी प्रकार के दलहन, जैसें- अरहर दाल, मूँग दाल आदि सभी प्रकार की शाक-सब्जियाँ, जैसे आलू, गोभी, लाल साग, हरा साग आदि, तथा मूँगफली, सेवा सोयाबीन आदि । प्रोटीन के कार्य (Functions) - प्रोटीन द्वारा किए जाने वाले कुछ प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं यह शरीर में कोशिकाओं एवं उत्तकों (Cells and tissues) के निर्माण में महत्वपूर्ण सहयोग देता है। यह शरीर की कोशिकाओं एवं उत्तकों में हुए टूट-फूट की मरम्मत के कार्य में महत्त्वपूर्ण सहयोग देता है। यह शरीर में पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक पाचन खमीरों (Digestive enzymes) को उपलब्ध कराता है। यह शरीर के विभिन्न विकासात्मक कार्यों के लिए आवश्यक हारमोनों (Harmones) को उपलब्ध कराता है। यह शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक रोग प्रतिकारक तत्त्वों (Antibiotics) के शरीर में निर्मित होने की क्रिया में महत्त्वपूर्ण सहयोग देता है । यह शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा के सम्पूर्ण प्रतिशत का एक समुचित अंश भी उत्पन्न करता है । यह शरीर में वर्तमान विभिन्न पदार्थों, जैसे- जल, रक्त आदि के बीच शरीर की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से आवश्यक सन्तुलन बनाये रखने में महत्त्वपूर्ण सहयोग देता है।

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