विद्यापति भक्त कवि हैं या श्रृंगारी कवि-युक्तियुक्त विवेचन कीजिए। Vidyapati Bhakt Kavi Hai Ya Singari Kavi Yuktiyukt Vivechan Kijiye
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विद्यापति भक्त कवि हैं या श्रृंगारी कवि-युक्तियुक्त विवेचन कीजिए। Vidyapati Bhakt Kavi Hai Ya Singari Kavi Yuktiyukt Vivechan Kijiye?
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विद्यापति : विद्यापति मूलतः प्रेम और सौन्दर्य के कवि हैं।

प्रेम - दर्शन का प्रतिपादन करने के लिए ही उन्होंने अपनी पदावली में भक्ति और माधुर्य पर विशेष बल दिया है।

जहाँ तक सौन्दर्य का प्रश्न है तो वह उनकी जीवन - दृष्टि है।

सौन्दर्य उनके पदों में प्रेम दर्शन की भाँति एक दर्शन है।

उनके पदों में सौन्दर्य का व्यापक चित्रण हुआ है जिसके लिए श्रृंगार के आश्रवालंबन के रुप में राधा - कृष्ण को माध्यम बनाया गया है जो सामान्य नर - नारी भी हैं और कृष्ण , भक्ति - देव हैं तो राधा श्रृंगार देवी।

भक्ति और श्रृंगार उनकी पदावजली के प्रारंभ में समानांतर चलते हैं बाद में कवि का शैव और शाक्त रूप भी दृष्टिगोचर होता है।

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