शब्दों, अक्षरों की पहचान मात्र पढ़ना नहीं है। पढ़ने की करिश्माई कौशल तभी मान सकेंगे जब बच्चे लिखे हुए शब्दों, वाक्यों से अर्थ निकाल सकेंगे। इस प्रकार पढ़ने का अर्थ है- समझ विकसित करना। वाक्य में निहित भावों को समझना। जब बच्चे के समझ में यह बात आ गई कि वाक्य में क्या कहा जा रहा है, कुछ बच्चे गणित के सवालों, अंकों को आसानी से जोड़ना, घटाना, गुणा व भाग कर लेते हैं किन्तु उसी प्रश्न को इबारती प्रश्न के रूप में दे दें तो बच्चा नहीं बना सकता। सीधा अर्थ है एक तो बच्चा पढ़ना नहीं जानता दूसरी समझ विकसित नहीं कर पा रहा है कि इर प्रश्न में (गुणा, भाग, जोड़, घटाव) क्या करना है। जब बच्चों में समझ विकसित हो जाय, जब बच्चा एक ही प्रश्न को अलग-अलग तरह से हल कर ले तब कह सकते हैं कि बच्चे को पढ़ना आ गया।