कवि के अनुसार स्वाधीन भारत की नींव जनता है। गणतंत्र जनतंत्र पर निर्भर है।
जनता का स्वप्न अज्ञेय है। सदियों अंधकार युग में रहनेवाली जनता आज प्रकाशयुग में जी रही है।
वर्षों से स्वप्न को संजोये रखनेवाली जनता निर्भय होकर एक नए युग की शुरुआत कर रही है।
आज अंधकार युग का अंत हो चुका है। विशाल जनतंत्र का उदय हुआ है। अभिषेक राजा का नहीं प्रजा का होनेवाला है।