संचार से तात्पर्य है स्वयं के भावों, विचारों, संदेशों, सूचनाओं, उपलब्धियों आदि को अतिशीघ्र दूसरों तक प्रेषित करना। वर्त्तमान में समाज को इस संबंध में प्रभावित करने वा सबसे प्रमुख साधन दूरसंचार है, जिसमें निरंतर आधुनिकतम प्रणालियों के विकास ने क्रांति ला दी है। इसके तहत इंटरनेट जैसी आधुनिकतम सुविधाओं ने संपूर्ण विश्व को एक सूचना संचार व्यवस्था के नेटवर्क से जोड़ दिया है।
वर्तमान में जीवन की गति को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा साधन दूरसंचार है। यह वाणिज्य, उद्योग तथा आर्थिक गतिविधियों में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है तथा संपूर्ण विश्व को एक दूसरे के अत्यंत निकट ले आया है। आज सूचनाओं, आँकड़ों, तथ्यों और चित्रों आदि की विश्व के एक कोने से दूसरे कोने में बड़ी आसानी से हस्तांतरण संभव है।
कृत्रिम उपग्रहों के आविष्कार से सार्बभौमिक संचार के इतिहास में एक नये युग का सूत्रपात हुआ है। संचार उपग्रह अंतरिक्ष में तीव्र क्षमता वाले प्रसारण का कार्य करते हैं, जिससे दुनिया अलग-अलग भागों में दूर-दूर स्थित केन्द्र भी माइक्रोवेव संपर्क के द्वारा एक-दूसरे से जोड़े जा सकते हैं।
प्राचीन काल में संचार के माध्यम कबूतर, आदमी आदि थे। उसके बाद डाक विभाग संचार का माध्यम बना। दूरसंचार के लिए जिन संचार माध्यमों का उपयोग किया जाता है, उनमें प्रमुख हैं (a) कॉपर केबल, (b) प्रकाश तंतु (optical fibre), (c) रेडियोवेव और माइक्रोवेव तरंग (c) उपग्रह संचार प्रणाली (e) पोल-नेट (f) जलगर्भीय संचार प्रणाली
(a) कॉपर केबल : यह सबसे पुराना दूरसंचार माध्यम है। इसमें विद्युत पल्स के माध्यम से संदेशों का संचरण होता है तथा इसकी क्षमता बहुत सीमित होती है।
(b) प्रकाश तंतु : संचार के क्षेत्र में प्रकाश तरंगों का प्रयोग प्रारंभ होने से प्रकाशीय संचार की आधुनिक प्रौद्योगिकी का विकास संभव हुआ है। इस आधुनिक प्रौद्यौगिकी का प्रयोग करने वाला भारत विकासशील देशों में प्रथम देश है। लगभग 1980 के दशक इसका प्रयोग हो रहा है। (c) रेडियो और माइक्रोवेव तरंगें : रेडियो संचार माध्यम का प्रयोग मुख्यतः समाचार, संगीत और दूसरे संदेशों को दूरस्थ स्थानों तक भेजने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रम में 'रेडियो तरंगों' का प्रयोग किया जाता है।
(d) उपग्रह संचार प्रणाली : कृत्रिम उपग्रहों के आविष्कार ने पूरे विश्व में एक संचार क्रांति ला दी है। भारत जैसी भौगोलिक संरचना वाले देशों में दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों तक संचार माध्यम के लिए केबल लाइन ले जा पाना एक दुस्कर कार्य है। अतः ऐसी जगहों पर दूरसंचार की सुविधा उपलब्ध कराने में उपग्रह संचार प्रणाली की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
(e) पोल-नेट : देश-भर में पुलिस थानों को आपस में जोड़ने के उद्देश्य से 'पोल-नेट'
नामक एक संचार प्रणाली परियोजना की शुरूआत की है। इसके माध्यम से नई दिल्ली को देश के अन्य राज्यों से जोड़ दिया जायेगा और बाद में राज्यों में जिला मुख्यालयों एवं पुलिस थानों को जोड़ा जायेगा, जिससे वे एक दूसरे से सीधा संपर्क कर सकेंगे।
(f) जलगर्भीय संचार प्रणाली : अंतर्राष्ट्रीय संचार क्षेत्र में उपग्रहों पर निर्भरता को कुछ कम करने के उद्देश्य से भारत ने 18 अक्टुबर, 1994 को हिंद महासागर में प्रथम 'जलगर्भीय संचार प्रणाली' का शुभारंभ किया। इस प्रणाली के अन्तर्गत समुद्र में जल के नीचे से Optical fibre (प्रकाश तंतु) केवल को बिछाकर एक सशक्त अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार प्रणाली को विकसित करने की योजना है।