पंतजी प्रकृति के अन्यतम चितेरे और सुकुमार कवि मान्य हैं। अपनी कविताओं में उन्होंने प्रकृति को विविधि रूपों में चित्रित किया है।
उनकी कविताओं में प्रकृति सर्वत्र चेतन रूप में प्रस्तुत होती दृष्टिगोचर होती हैं; वह कहीं नारी, कहीं सखी, कहीं माँ, सहचरी, प्रेयसी आदि कई रूपों में उपस्थित होती है, तो कहीं वह कवि के दार्शनिक विचारों की अभिव्यक्ति में सहायक होती है। जिससे उनका प्रकृति-प्रेम पूर्णतया स्पष्ट होता है।