कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध के अनुसार सभी प्राकृतिक कार्य-व्यापारों के प्रकट होने के पीछे कोई-न-कोई गूढ़ अभिप्राय अवश्य रहता है।
प्रकृति अपने कार्य व्यापारों के माध्यम से समस्त जीवों में चेतना का संचार करती है। हम प्रकृति से प्रेरणा प्राप्त कर अपने कर्म के प्रति उन्मुख होते हैं।
प्रकृति के सारे कार्य-व्यापार अपने निश्चित समय पर होते हैं। अपने नियत समय पर सूर्योदय और सूर्यास्त होते हैं, रात होती है, पुनः सवेरा होता है। नियत समय पर ही पेड़-पौधे फूलते-फलते हैं, बादल बरसकर सूखी धरती की प्यास बुझाते हैं।
प्रकृति के ये सारे कार्य व्यापार समय की उपयोगिता बताते हुए हमें कर्म की ओर प्रेरित करते हैं।
झरने और नदियाँ अपनी कल-कल, छल-छल ध्वनि के माध्यम से हमें मार्ग की विविध बाधाओं को पार करते हुए जीवन मार्ग पर सतत अग्रसर होने की प्रेरणा देते हैं।
हवा हमें संदेश देती है, कि हमें मानवीय गुणों का प्रचार-प्रसार करना चाहिए। अतः इन तथ्यों से स्पष्ट होता है, कि प्रकृति अपने कार्य व्यापारों के माध्यम से हमें कर्मठ, उपकारी, प्रेमी तथा त्यागी बनने की प्रेरणा देती है।