महाराजा मेहताब चंद (Maha Raja Mehtab Chand) ने संथाल विद्रोह और 1857 के विद्रोह के दौरान अंग्रेजों की सहायता की थी।
सन् 1793 से 1801 के बीच, बंगाल की चार बड़ी जमींदारियों में से बर्धवान की जमींदारी भी एक प्रमुख जमींदारी थी।
जब इस्तमरारी बंदोबस्त लागू किया गया था, तब तेजचंद, बर्धवान का राजा था। उसके बाद, मेहताब चंद के शासनकाल में बर्धवान की जमींदारी काफी फली फूली।
महाराजा मेहताब चंद (1820-79) ने संथालों के विद्रोह और 1857 के विद्रोह के दौरान अंग्रेजी हुकूमत का साथ दिया था।
संथाल विद्रोह चार भाइयों सिद्धू, कान्हू, चाँद और भैरव के नेतृत्व में 1855-56 में हुआ था।