राजतंत्र और वर्ण में संबंध स्थापित करें। Rajtantra Aur Varn Mein Sambandh Sthapit Karen
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राजतंत्र और वर्ण में संबंध स्थापित करें। Rajtantra Aur Varn Mein Sambandh Sthapit Karen

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प्राचीन भारत में सैद्धांतिक रूप से राजतंत्र और वर्ण में गहरा संबंध था। अर्थशास्त्र और धर्मसूत्रों में राजतंत्र और वर्ण व्यवस्था का उल्लेख किया गया है।

धर्मसूत्रों के अनुसार सम्राट क्षत्रिय वर्ग से ही होना चाहिए और उनके सलाहकार ब्राह्मण पुरोहित होना चाहिए।

प्रशासन में ब्राह्मणों का सर्वोच्च स्थान प्राप्त था। गौतम के अनुसार, राजा तथा वेद के ज्ञानी ब्राह्मण ये दोनों संसार को नैतिक व्यवस्था के नियामक हैं।

यह भी कहा गया कि राजा सभी का स्वामी होता है, किन्तु ब्राह्मण का नहीं। इस प्रकार प्राचीन भारत में सैद्धांतिक रूप से क्षत्रिय को ही आदर्श राजा के रूप में मान्यता प्राप्त था।

इसी प्रकार पुरोहित व सलाहकार के रूप में ब्राह्मण स्थापित थे। वैश्यों और शूद्रों के कर्तव्य निर्धारित थे और वे राज-काज से दूर रहकर कृषि कार्य एवं सेवा का दायित्व निभाते थे।

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