भँवर धारा (Eddy current) : जब धातु के प्लेट को बदलते हुए चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है या किसी चुम्बकीय क्षेत्र में इस प्रकार गतिशील हो कि उससे संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में समय के साथ परिवर्तन हो तो धातु के प्लेट के सम्पूर्ण आयतन प्रेरित धाराएँ उत्पन्न होती है। इस धारा को भँवर धारा कहते हैं।
चल कुंडली गैलवेनोमीटर में कुंडली एल्युमिनियम के फ्रेम पर लपेटी रहती है। जब कुंडली चुंबक के ध्रुवों के बीच दोलन करती है तब फ्रेम में भँवर धाराएँ उत्पन्न होती हैं जो कुंडली की गति का विरोध कर उसकी गति को अवमंदित करती हैं।
जब आयताकार धातु के प्लेट को विद्युत चुम्बक के ध्रुवों के बीच रखा जाता है तथा प्रारम्भ में चुम्बकीय क्षेत्र शून्य होता है तब धातु के प्लेट को दोलन कर छोड़ दिया जाता है।
ऐसा देखा जाता है कि प्लेट अधिक समय तक दोलन करता रहता है। जब ध्रुवों के बीच चुम्बकीय क्षेत्र को स्थापित किया जाता है तथा इसके मान को धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है तो पाया जाता है कि प्लेट का दोलन शीघ्रता से समाप्त हो जाता है।
इसका कारण यह है कि चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन से प्लेट में भँवर धारा उत्पन्न होती है। इसकी दिशा ऐसी होती है कि प्लेट के गति का विरोध करता है।
भँवर धारा अधिक परिमाण में ऊष्मा उत्पन्न करती है। इस धारा को न्यूनतम करने के लिए नरम लोहे का एक प्लेट न लेकर कई प्लेट लिए जाते हैं तथा इन प्लेटों के बीच वार्निश लगा दिया जाता है।